Thursday, March 4, 2010

WORD GLOSSARY

बजट शब्दावली-1

Direct Tax:

जब टैक्स का भुगतान उसी व्यक्ति द्वारा किया जाता है जिसपर टैक्स लगाया जाता है तो उसे डायरेक्ट टैक्स कहते हैं। ये टैक्स सैलरी या सम्पत्ति पर लगाया जाता है। इसके अलावा FBT, STT और BCTT भी इसी दायरे में आते हैं।

Indirect Tax:

इसमें टैक्स का भुगतान उस व्यक्ति द्वारा नहीं किया जाता जिसपर टैक्स लगता है। सभी तरह की वस्तुओं, सेवाओं पर लगने वाले टैक्स जैसे एक्साइज, कस्टम, और सर्विस टैक्स को इनडायरेक्ट टैक्स के दायरे में आते हैं।

Non-tax revenue:

सरकार को टैक्स के अलावा किसी भी दूसरे स्रोतों जैसे सरकार द्वारा राज्य सरकारों को दिए लोन पर ब्याज, रेल सेवाओं से होने वाली आय आदि को Non tax revenue कहा जाता है। इस आय को सरकार के कंसोलिडेटेड फंड में रखा जाता है।

Grants-in-aid and contributions:

सरकार द्वारा दी सब्सिडी और किसी भी तरह की वित्तीय सहायता को Grants-in-aid and contributions कहा जाता है।

Revenue Deficit:

जब वित्तीय वर्ष में revenue account में सरकार के खर्चे टैक्स से हुई आमदनी से ज्यादा होते हैं तो उसे Revenue deficit कहते हैं। ऐसी स्थिति में सरकार को उधार लेना पडता है।

कायदे से revenue deficit को जीरो होना चाहिए, क्योंकि revenue acoount में खर्चों में सरकारी कर्मचारियो को वेतन देने जैसी जरुरतों पर भी खर्चा होता है। और किसी भी तरह के एसेट्स का निर्माण नहीं होता।

Public debt:

सरकार द्वारा बाजार, पब्लिक, रिजर्व बैंक और बैंको को सिक्योरिटीज जैसे बांडस, ट्रेजरी बिल आदि इश्यू करके लिया उधार लिया पैसा Public Debt कहा जाता है।

Treasury bills (T-bills)

90 से एक साल से कम अवधि के लिए जारी किए सरकारी बांडस को treasury bills कहते हैं। जबकि लम्बी अवधि के लिए जारी किए बांडस को dated securities कहते हैं।

Market stabilisation scheme

मार्केट स्टेबिलाइजेशन स्कीम या MSS स्कीम 2004 में लांच हुई थी। इस स्कीम में सरकार, रिजर्व बैंक को बांडस पैसा उधार लेने के लिए नहीं, बल्कि उसे बेच और खरीद कर मार्केट में नकदी यानि लिक्विडिटी और एकस्चेंज रेट को मैनेंज करने के लिए इश्यू करती है।

इन बांडस को बेचने पर नकदी कम होती है और डालर के मुकाबले रुपये में मजबूती आती है। जबकि इन बांडस के खरीदने पर नकदी में बढ़ती है और डालर के मुकाबले रुपये में कमजोरी आती है।

Ways and means advance (WMA)

रिजर्व बैंक केन्द्रीय सरकार के साथ-साथ राज्य सरकार के लिए भी बैंकर का काम करता है। W&A स्कीम के तहत रिजर्व बैंक सरकार को उसके खर्चो का आमदनी से ज्यादा होने पर थोडी अवाि के लिए उधार देता है।

Miscellaneous receipts

सरकार के पब्लिक सेकटर कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी के बेचने से आने वाले पैसे को इस कैटेगरी में रखा जाता है।

Plan expenditure
बजट के तहत केन्द्रीय सरकार द्वारा राज्य सरकर को वित्तीय वर्ष के दौरान मिलनेवाले पैसे को plan expenditure कहा जाता है।

Non -Plan expenditure

सरकार के ब्याज चुकाने, सरकारी कर्मचरियों को वेतन, पेंशन आदि देने में आए खर्चे को Non plan expenditure कहा जाता है।

Fiscal Deficit:

जब सरकार की आमदनी उसके खर्चों से कम होती है तो सरकार को उस अन्तर को पूरा करने के लिए पब्लिक से पैसा उधार लेना पड्ता है, जिसे fiscal deficit कहते हैं।

Primary deficit
जब सरकार के वित्तीय घाटे में से सरकार द्वारा उधार लिए पैसे पर दिये ब्याज को शामिल नहीं किया जाता तो उसे primary deficit कहा जाता है।

FRBM Act:
साल 2003 में लागू हुए इस एक्ट के मुताबिक सरकार को साल 2008-09 तक revenue deficit जीरो होने और वित्तीय घाटे को 3% तक लाने की जिम्मेदारी है।

Resources transferred to the states:
वित्तीय वर्ष में इकट्ठे किए टैक्स में से केन्द्र सरकार को 27% हिस्सा राज्य सरकारों को देना पडता है। इसके अलावा केन्द्र सरकार द्वारा राज्यों में शुरु की स्कीम के लिए भी सरकार पैसा देती है।

Value-Added Tax (VAT)
प्रोडक्शन के दौरान वस्तुओं के value added हिस्से पर लगनेवाले टैक्स को वैल्यू एडेड टैक्स या VAT कहते हैं। यानि किसी प्रोडक्ट पर टैक्स लगाते समय प्रोडक्ट की कीमत में से इनपुट कॉस्ट को घटा दिया जाता है।

Goods and Sevice tax GST:
इसमें सभी तरह की वस्तुओं और सेवाओं दोनों पर समान टैक्स लगता है।

Bharat Nirman
सरकार ने देश में इंफ्रास्ट्रक्चर यानि सडकें, बिजली, सिंचाई और आवास जैसी व्यवस्थाओं को बेहतर बनाने के लिए 'भारत निर्माण' नाम से स्कीम लांच की थी। इस स्कीम के तहत शुरु किए सभी तरह के प्रोजेक्ट्स को साल 2009 तक पुरा करने का लक्ष्य रखा गया है।

Cess
टैक्स के ऊपर अलग से देनदारी को सेस कहते हैं। इसे किसी खास तरह के खर्चों को पूरा करने के लिए लगाया जाता है। जैसे कॉरपोरेटस और सेलरी पर तैक्स के ऊपर 2% का एजूकेशन सेस लगता है।

Countervailing Duty
बेसिक इंपोर्ट ड्यूटी के ऊपर से लगने वाली ड्यूटी को countervailing duty कहते हैं। यह घरेलू प्रोडक्ट्स पर लगने वाली excise duty के बराबर होती है।
इस ड्यूटी के जरिए सरकार देश में सस्ते इंपोर्ट से घरेलू कंपनियों को प्रोटेक्शन देती है।


Export duty
वस्तुओं के एक्सपोर्ट करने पर लगनेवाली export duty होती है।जब सरकार किसी वस्तु के एक्सपोर्ट को कम करना चाहती है तो उस पर export duty को बढा देती है।

Finance Bill
सरकार नए टैक्स लाने या पुरानी टैक्स प्रकिया में किसी भी तरह के टैक्स में बदलाव लाने के लिए संसद में उसकी मंजूरी के लिए एक बिल भेजती है। यही बिल जिसे finance bill कहलाता है।

Financial inclusion
देश में लोगों को कम कीमत देकर सभी तरह कि बैंकिग सुविधाएं मिले एसी व्यवस्था को financial inclusion कहा जाता है।

Pass through status
इस के कारण Venture capital funds को निवेशकों के पैसों को कुछ सेक्टरों में निवेश करके कम पैसे पर किसी भी तरह का टैक्स नहीं लगता है।

Subvention
इसके तहत सरकार बैंको से किसानों या इंडस्ट्री को कम दर से ब्याज मुहैया कराती है और कम ब्याज से बैंक को होनेवाले नुकसान की भरपाई सरकार करती है।

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