Thursday, March 4, 2010

WORD GLOSSARY

 बजट शब्दावली 2

Annual Financial Statement

संविधान में अनुच्छेद 112 के अनुसार सरकार को प्रतिवर्ष बीते वर्ष में हुए खर्चों और आमदनी के साथ आनेवाले वित्तीय वर्ष के होनेवाले खर्चों और आमदनी का ब्यौरा देना होता है। इसी ब्यौरे को annual financial statement कहते हैं।

ये दस पन्नों का ब्यौरा होता है। इसके तीन भाग होते हैं-कनसोलिडेटेड फंड, कन्टिनजेंसी फंड और पब्लिक अकाउंट। इन सभी में सरकारी खर्चों और आमदनी का ब्यौरा दिया होता है। जिन्हें चालू और कैपिटल अकांउट में बांटा जाता है।

Consolidated Fund:
ये तीनों फंड्स में से सबसे महत्वपूर्ण होता है। इसमें सरकार को सभी स्रोतों जैसे टैक्स, सरकार दिए लोन पर ब्याज आदि से हुई आय को रखा जाता है। और इसी फंड से सरकार वित्तीय खर्चों के लिए पैसा निकालती है। लेकिन इस फंड से पैसा निकालने के लिए संसद की मंजूरी जरुरी होती है।

Contingency Fund:

इस फंड से अनअपेक्षित खर्चों के लिए पैसा निकाला जाता है। 500 करोड रुपये के इस फंड में से खर्च करने का अधिकार केवल राष्ट्रपति के पास होता है। लेकिन इस फंड से भी पैसे निकालते समय सरकार को संसद की मजूरी की जरुरत पड़ती है। और इस फंड में से निकाले गए पैसे को वापस भी करना पड़ता है।

Public Account:

इस फंड पर सरकार का कोई हक नहीं होता, क्योकि इसमें जमा पैसा सरकार पर कर्ज होता है। जैसे कि इसमें प्राविडेंट फंड, स्माल सेविंग्स का पैसा होता है, जिसे एक निश्चित समय के बाद सरकार को ये पैसा जमा करने वाली संस्था को देना होता है। इसी वजह से इस अकांउट मे आये पैसे को आय (revenues) ना कहकर receipts कहा जाता है।

सरकार को इस पैसे को वापस करते समय सरकार को संसद की मंजूरी की जरूरत नहीं होती। लेकिन इस फंड में आनेवाले पैसे और खर्चों का ब्यौरा सरकार को जरूर रखना पडता है

Revenue receipt/Expenditure:

जब हुई आमदनी को खर्च करने से किसी तरह की अचल संपत्ति का निर्माण नहीं होता तो उसे Revenue receipt या Expenditure receipt कहते हैं। Revenue receipt में सरकार को टैक्स से हुई आय का ब्यौरा होता है। जबकि Expenditure receipt में सरकारी कर्मचारियों को वेतन देने में, सब्सिडी और ब्याज देने में आए खर्चों को शमिल किया जाता है।

Capital receipt/Expenditure:

सब तरह की आमदनी जो किसी भी तरह के एसेट्स जैसे शेयर, संपत्ति आदि को बेचने (डिस्वेस्ट्मेंट) या दिए लोन पर आनेवाले ब्याज से होती है उसे capital receipt कहते हैं।

जबकि किसी भी तरह के assets जैसे शेयर, संपत्ति आदि को खरीदने पर होने वाले खर्चे या लिए लोन पर देय ब्याज को capital expenditure कहते हैं।

Corporation Tax:

कंपनी के लाभ पर या आय पर लगने वाले टैक्स को carporation tax कहते हैं।

Fringe benefit tax (FBT):

कंपनी के द्वारा अपने कर्मचारियों को सैलरी के अलावा दिए जानेवाले फायदों पर लगने वाले टैक्स को FBT कहते हैं। साल 2005-06 में इसकी शुरुआत हुई थी।

Securities transaction tax (STT):

शेयरों और संपत्ती की खरीद-बेच पर लगने वाले टैक्स को STT यानि सिक्योरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स कहते हैं।

Banking cash transaction tax (BCTT):

इसकी साल 2005-06 में शुरुआत हुई थी। ये टैक्स बैंक से पैसे निकालने पर लगता है।

Custom duty

इंपोर्टस यानि दूसरे देशों से कुछ भी मंगाए जाने पर लगने वाले टैक्स को कस्टम ड्यूटी कह्ते हैं।

Union Excise Duty:

भारत में बनने वाली वस्तुओं पर लगने वाले टैक्स को यूनियन एक्साइज़ ड्यूटी कहते हैं।

Service Tax:

सेवाओं जैसे टेलिफोन बिल, मेडिकल सर्विस पर लगने वाले टैक्स को सर्विस टैक्स कहते हैं।

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